भीम रूप धरि असुर संहारे। रामचन्द्र के काज संवारे।। अस्तुति चालीसा शिवहि, पूर्ण कीन कल्याण ॥ कार्तिक श्याम और गणराऊ । या छवि को कहि जात न काऊ ॥ अर्थ- हे प्रभु जब क्षीर सागर के मंथन में विष से भरा घड़ा निकला तो समस्त देवता व दैत्य भय से https://alexisirhgf.ouyawiki.com/945375/considerations_to_know_about_shiv_chalisa_lyrics_in_punjabi